स्वतंत्रता आन्दोलन में महारानी लक्ष्मीबाई और सरोजिनी नायडू जैसी नारियाँ भी अपना सहयोग देने में पीछे नहीं रहीं । हर वर्ष 15 अगस्त राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है । मुख्य समारोह लाल किले पर होता है । प्रधानमंत्री के वहाँ पहुँचने पर तीनों सेना के मुख्याध्यक्ष उन्हें सलामी देते हैं ।
प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगे को फहराते हैं । ध्वज के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है । प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश में देश की उन्नति और भविष्य की योजनाओं के बारे में राष्ट्र को बताते हैं । इस अवसर पर देश के गणमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त विदेशी अतिथि भी होते हैं ।
भाषण की समाप्ति पर तीन बार ‘जय हिन्द’ के उद्घोष के साथ राष्ट्रीय गान गाया जाता है और कार्यक्रम समाप्त हो जाता है । 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश रहता है । इस दिन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान बंद रहते हैं । इसलिए स्कूलों और महाविद्यालयों में एक दिन पहले ध्वजारोहण होता है और प्राचार्य भाषण देते हैं ।
राज्यों के मुख्य मंत्री ध्वजारोहण करते हैं और भाषण देते हैं । प्रधानमंत्री देश के गणमान्य व्यक्तियों, सेना के मुख्य अधिकारियों को और विदेशी अतिथितियों को रात्रि भोजन पर आमन्त्रित करते हैं । रात को सरकारी इमारतों पर रोशनी की जाती है । जिसकी शोभा देखते ही बनती है ।
15 अगस्त का कार्यक्रम सीधा रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता है । इसके पश्चात् राष्ट-भक्ति गीत, कविताएं और नाटक प्रसारित किए जाते हैं । भारतीयों और विदेशियों में अध्यात्म ज्ञान की ज्योति जलाने वाले ‘अरविन्द घोष’ का जन्म दिन भी 15 अगस्त है ।
भारतीयों के लिए यह दिन असाधारण है, जो हमें यह सोचने पर बाध्य करता है कि अपने भविष्य को बनाने के लिए हम अपनी पुरानी गलतियों को न दुहराएं और देश की एकता और अखण्डता की हर कीमत पर रक्षा करें । तभी हम गर्व के साथ इकबाल के शब्दों में कह सकेंगे ।
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