दया कर दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।
दया करना हमारी आत्मा में,
शुद्धता देना।।
हमारे ध्यान में आओ,
प्रभु आँखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल में आकर के,
परम् ज्योति जगा देना।।
बहा दो प्रेम की गंगा,
दिलों में प्रेम का सागर।
हमें आपस में मिल जुलकर,
प्रभु रहना सिखा देना।।
हमारा कर्म हो सेवा,
हमारा धर्म हो सेवा।
सदा ईमान हो सेवा,
व सेवक चर बना देना।।
वतन के वास्ते जीना,
वतन के वास्ते मरना।
वतन पेजाँ फिदा करना,
प्रभु हमको सिखा देना।।
हमें परमात्मा देना।
दया करना हमारी आत्मा में,
शुद्धता देना।।
हमारे ध्यान में आओ,
प्रभु आँखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल में आकर के,
परम् ज्योति जगा देना।।
बहा दो प्रेम की गंगा,
दिलों में प्रेम का सागर।
हमें आपस में मिल जुलकर,
प्रभु रहना सिखा देना।।
हमारा कर्म हो सेवा,
हमारा धर्म हो सेवा।
सदा ईमान हो सेवा,
व सेवक चर बना देना।।
वतन के वास्ते जीना,
वतन के वास्ते मरना।
वतन पेजाँ फिदा करना,
प्रभु हमको सिखा देना।।